श्री गणेश जी की पूजा विधि
श्री गणेश जी, जिन्हें विघ्नहर्ता और शुभ-लाभ के दाता कहा जाता है, हर शुभ कार्य की शुरुआत में सबसे पहले पूजे जाते हैं। उनकी पूजा सरल और अत्यंत फलदायी होती है।
पूजा की सामग्री:
- भगवान गणेश जी की मूर्ति या चित्र
- साफ और स्वच्छ वस्त्र (पूजा के लिए)
- लाल या पीला वस्त्र (गणेश जी को चढ़ाने के लिए)
- मोदक, लड्डू या गुड़
- फूल (लाल और पीले रंग के फूल)
- दूर्वा घास (गणेश जी को विशेष रूप से प्रिय)
- चंदन और रोली
- धूपबत्ती और दीपक
- नारियल
- कलश और पान के पत्ते
- श्री गणेश मंत्र या गणेश चालीसा की पुस्तक
पूजा विधि:
-
स्नान और शुद्धि:
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल और मूर्ति को भी साफ करें। -
आसन की स्थापना:
पूजा के लिए मूर्ति या तस्वीर को लाल कपड़े पर रखें। कलश में जल भरकर उसके ऊपर पान का पत्ता और नारियल रखें। -
गणेश जी का ध्यान:
भगवान गणेश का ध्यान करें और अपनी पूजा शुरू करने से पहले उन्हें प्रणाम करें। -
संकल्प लें:
पूजा के दौरान मन में एकाग्रता बनाए रखें और संकल्प लें कि आप विधिपूर्वक गणेश जी की पूजा करेंगे। -
पूजा सामग्री अर्पण करें:
- गणेश जी को चंदन और रोली लगाएं।
- उन्हें दूर्वा घास चढ़ाएं (कम से कम 21 दूर्वा अर्पित करें)।
- फूल और पान का पत्ता अर्पित करें।
- गणेश जी को लड्डू, मोदक या गुड़ का भोग लगाएं।
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गणेश मंत्र जाप करें:
“ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
या
“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥” -
गणेश चालीसा का पाठ करें:
गणेश चालीसा या श्री गणेश स्तुति का पाठ करें। इससे शुभ फल प्राप्त होता है। -
दीपक जलाएं और आरती करें:
“जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।”
आरती के साथ पूजा समाप्त करें। -
प्रसाद वितरण:
भोग को प्रसाद के रूप में सभी को बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
पूजा के विशेष नियम:
- गणेश जी की पूजा के समय मन को शांत और निर्मल रखें।
- दूर्वा घास का प्रयोग जरूर करें क्योंकि यह गणेश जी को अत्यंत प्रिय है।
- गणेश जी की पूजा किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन बुधवार और चतुर्थी विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
- उनकी मूर्ति या तस्वीर को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना लाभकारी होता है।
श्री गणेश जी की कृपा से आपके सभी कार्य निर्विघ्न पूरे हों।
ॐ गणेशाय नमः। 🙏✨
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